वारावफात त्योहार पर जुलूस में चप्पे चप्पे पर शांति व्यवस्था हेतु लगी रही पुलिस
भारत रक्षक न्यूज
ब्यूरो प्रभारी बिपिन सिंह महराजगंज
महराजगंज/शिकारपुर चौकी क्षेत्र में वारावफत के त्योहार के जुलूस में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस मुस्तैद रही दरौली,भिसवां, कोदईला अगया सभी जगहों का जुलूस शांति ढंग से सम्पन्न किया गया। कुछ विश्लेषण हर साल हर धर्म में कुछ कुछ खास पर्व मनाए जाते है। ऐसा ही एक इस्लामिक धर्म से जुड़ा पर्व है 12बारावफातजिसको बारावफात या ईद मिलाद उन-नबी के नाम से भी जाना जाता है। इस्लाम धर्म समुदाय के लिए यह दिन बड़ी खास है और इसको धूम धाम से मनाया भी जाता है। लेकिन इस पर्व से संबंधित लोगो के मन में कई सवाल है।इस्लाम धर्म के आखरी पैगंबर हज़रत मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म और और मृत्यु के संदर्भ में मनाया जाता है। इनका जन्म जन्म 570 ई. को मक्का में हुआ था और मृत्यु 632 ई. को मदीना में हुआ था। यह त्यौहार पैगंबर हज़रत मुह़म्मद के जीवन, उनकी शिक्षाओं और ज्ञान को याद करने के रूप में मनाया जाता है।
12 वफात का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इस दिन पैगंबर के बताए रास्ते को याद करते हुए इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान को भी पढ़ा जाता है। मान्यता है कि 12 वफात के दिन जो भी पैगंबर के नियम या बताए रास्ते पर चलता है और पूरे नियम निभाता है। वो व्यक्ति अल्लाह के बेहद करीब चला जाता है। इसलिए बारावफात मुसलमानों के लिए प्रमुख त्यौहारों में से एक है।