धान की फसल गिरी, उम्मीदें टूटी–मानसून और महंगाई ने किसानों की कमर तोड़ी!
बिपिन सिंह महराजगंज
भारत रक्षक न्यूज
महराजगंज धान की फसल अब अपने अंतिम चरण में है, लेकिन इस बार किसानों के चेहरों पर मुस्कान नहीं, चिंता की लकीरें साफ झलक रही हैं। लगातार हुई बारिश और तेज हवाओं के कारण खेतों में खड़ी धान की फसल गिर गई है, जिससे भारी अनुपूरक क्षति हुई है। कई स्थानों पर पानी भर जाने से पौधें सड़ने लगे हैं और कटाई में भी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
किसानों का कहना है कि इस वर्ष खेती में पूंजी पहले से कहीं अधिक लगी थी। महंगी खाद, डीजल और मजदूरी के कारण पहले ही लागत बढ़ चुकी थी। ऊपर से यूरिया की किल्लत और अब मानसून की मार ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया है।
लक्ष्मीपुर, घुघली, निचलौल, शिकारपुर, दरौली,नौतनवा,फरेंदा,पनियरा सहित कई क्षेत्रों के किसान बताते हैं कि उनकी मेहनत पर अब पानी फिर गया है। खेतों में गिरी फसल को सीधी करना संभव नहीं और यदि मौसम ऐसा ही रहा, तो कटाई से पहले ही फसल सड़ जाएगी।
किसान रामदेव यादव कहते हैं, “इस बार खेत में इतना खर्च लगा कि उम्मीद थी कुछ बच जाएगा, लेकिन अब सब खत्म हो गया। अगर सरकार मदद नहीं करेगी तो आने वाले सीजन में खेती कर पाना मुश्किल होगा।”
किसानों ने प्रशासन से सर्वे कराकर उचित मुआवजे की मांग की है। वे चाहते हैं कि गिर चुकी फसलों की भरपाई सरकार तत्काल करे, ताकि उन्हें अगली फसल के लिए हिम्मत मिल सके।
प्राकृतिक आपदा और बढ़ती लागत के दोहरे दबाव में किसान फिर एक बार संकट में हैं। सवाल अब यही है कि जब खेत में मेहनत करने वाले हाथ थक चुके हैं — तो आखिर किसान की मदद कौन करेगा?



