शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के जानवरों की भी जीवनशैली-ठंड से बचाने को लेकर उत्तम ब्यवस्था
भारत रक्षक न्यूज
ब्यूरो चीफ घनश्याम शर्मा गरखपुर
गोरखपुर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के जानवरों की भी जीवनशैली ठंड के दिनों में बदल जाती है. उन्हें गर्म कमरों में रखा जाता है. हीटर, ब्लोअर के साथ-साथ उनके बाड़े में पुआल और परदे की व्यवस्था भी चिड़ियाघर प्रशासन की तरफ से की जाती है. साथ ही चिड़ियाघर में रहने वाले पशु पक्षियों का भोजन भी बदल जाएगा. चिड़ियाघर में भालू को उसका मनपसंद आहार शहद तो बंदर और हिरण को भोजन के साथ गुड़ भी दिया जाएगा. वहीं मांसाहारी पशुओं के भोजन की मात्रा बढ़ा दी जाएगी.गोरखपुर चिड़ियाघर में भालू ,बंदर, हिरण, शेर ,बाघ, सांप ,मगरमच्छ ,घड़ियाल ,पक्षी, हिप्पो, गैंडा और कई अलग-अलग जीवों को ठंड से बचाने के लिए अलग-अलग इंतजाम किए जाते हैं. सभी बाड़े में एयर वेंटीलेशन को ध्यान में रखते हुए पर्दे लगा दिए जाते हैं, जिससे जानवरों को सीधी ठंडी हवा न लगे. इतना ही नहीं ठंड के सीजन में भालू को शहद की जरूरत सबसे ज्यादा रहती है, जो उनके शरीर को अंदर से गर्म रखता है. गेंडे, हिरण और बंदरों को गुड़ और मूंगफली दिया जाता है. शेर और बाघ के खान-पान का भी काफी ध्यान रखना पड़ता है. पक्षियों को बजरी, ककून, सावा और धान दिया जाता है. वहीं सांप, मगरमच्छ व घड़ियाल के भोजन में कटौती किया जाएगा. कमी व वृद्धि का यह क्रम 25 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच में शुरू हो जाएगा.पशु चिकित्साधिकारी डॉ योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि सर्दी के मौसम में जानवरों में तनाव बढ़ जाता है. उनका शरीर ठंड से लड़ने की कोशिश करता है. इस कारण से जानवर हमलावर भी हो जाते हैं. इसे दूर करने की दवा भी खाने के साथ वन्यजीव को दी जाती है. उन्होंने बताया कि चिड़ियाघर में रहने वाले पशु पक्षियों का भोजन मौसम के अनुसार निर्धारित है. गर्मी व बरसात के बाद ठंड के मौसम में भी सभी के भोजन में बदलाव आता है. उन्होंने बताया कि शेर, चीता, तेंदुआ, सियार, लोमड़ी व लकड़बग्घा का भोजन 1 से 2 किलोग्राम बढ़ जाता है. वहीं सांप, मगरमच्छ व घड़ियाल के शरीर का तापमान कम होने से उनके भोजन की मात्रा कम कर दी जाती है. इसके अलावा शाकाहारी पशुओं को भोजन के साथ गुड़ दिया जाता है.शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में छोटे बड़े कुल 275 से अधिक पशु पक्षी हैं. गर्मियों और बरसात के सीजन में निर्धारित भोजन के साथ वह संक्रमण के चपेट में ना आए इसलिए सप्लीमेंट दिया जाता है. ठंड का मौसम शुरू होते ही चिड़ियाघर प्रशासन कुछ पशु पक्षियों का भोजन बढ़ा देते हैं तो कुछ का घटा देता हैं. मांस का सेवन करने वाले पशुओं के भोजन की मात्रा बढ़ती है. जैसे के बाघ और चिता को 12 किलोग्राम मांस से बढ़ाकर प्रतिदिन 14 किलोग्राम मांस भोजन में दिया जाएगा. तेंदूवे व लकड़बग्घा का भोजन 4 किलोग्राम से बढ़ाकर 5 से 6 किलोग्राम कर दिया जाएगा.वही शियार का भोजन एक से बढ़ाकर डेढ़ किलोग्राम और लोमड़ी का आधा किलोग्राम से बढ़ाकर 1 किलोग्राम कर दिया जाएगा.